वर्णो को अक्षर अर्थात नष्ट न होने वाला भी कहते हैं। लिपि का आश्रय पाकर वर्ण ही भाषा का स्थायी रूप ग्रहण कर लेती हैं, वर्ण ध्वनि की आकृति है ,यह लेखन में सहायक होता है। प्रत्येक शब्द का उच्चारण करते समय मुख द्वारा कुछ ध्वनियां निकलती हैं। जैसे – अभी = अ + भ् + ई ,आयी = आ + ई , यहाँ = य् + अ + ह् + आ
ये ध्वनिया वर्ण कहलाती हैं इन ध्वनियों के खंड यानी टुकड़े नहीं किए जा सकते जब मुख से उच्चरित ध्वनियों को लिखा जाता है तब वे वर्ण बन जाते हैं ।इसलिए इसे और बेहतर तरीके से समझने की कोशिश करते है।
वर्ण विचार किसे कहते हैं और इसके भेद समझे
वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है जिसके और टुकड़े नहीं किये जा सकते है। जैसे – अ, क, ग, ब आदि। हिंदी भाषा में कुल 52 वर्ण है।
वर्ण की परिभाषा
वर्ण या अक्षर, वह छोटी से छोटी ध्वनि इकाई है, जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते; जैसे- अ, इ, क, ख, ग आदि।
वर्णमाला
वर्णो के समूह को वर्णमाला कहा जाता है। हर भाषा की अपनी एक वर्णमाला होती है। हिंदी भाषा की वर्णमालाा देवनागरी लिपि में उपलब्ध होती है । देवनागरी लिपि में कुल 52 अक्षर या वर्णो का विधान है संत कबीर पढ़े लिखेे न होते हुए ।भी इतना अवश्य जानते थे ,की लिपि में 52 अक्षर हैं । यह एक अलग बात है कि उन्हें इनमें से केवल दो अक्षर रा और म अर्थात राम ही प्रिय लगे।
वर्ण विचार के कितने भेद होते है
स्वर की परिभाषा
स्वर के तीन भेद होते है
- मूल या ह्वस्व स्वर – जिन स्वरो के उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय लगता है, जैसे – अ,इ ,उ,ऋ।
- दीर्घ स्वर- जिन स्वरो में उच्चारण के समय दोगुना का लगता है , – आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ ।
- प्लुत स्वर – इन स्वरो में तीन गुना का समय लगता है,यह केवल एक है ।चिन्ह (ऽ) इसका उपयोग ओमऽ,रामऽ में किया जाता है ।
- संयुक्त स्वर – ए ,ऐ,ओ ,औ ,
ए = अ +इ , ऐ = अ +ए , ओ = अ +उ , औ = अ +ओ - अं,अः -अयोगवाह कलाते है ,अं को अनुस्वार और अः को विसर्ग कहा जाता है ।
व्यंजन वर्ण की परिभाषा
जिन वर्णो का उच्चारण स्वरो के बिना नही हो सकता उनको व्यंजन वर्ण कहते है अर्थात वर्ण या धनिया होती हैं जिन का उच्चारण करते समय स्वरों की सहायता ली जाती हैं व्यंजन कहलाते हैं। इनका उच्चारण करते समय हवा मुख के अलग-अलग स्थानों को छूकर बाहर निकलती है, यह स्वतंत्र नहीं होते हैं हिंदी वर्णमाला में इनकी संख्या 33 होती है।
क , ख , ग , घ , ङ,च ,छ ,ज ,झ , ञ ,ट ,ठ ,ड , ढ ,ण ,त ,थ ,द ,ध ,न,प,फ,ब,भ,म ,य,र ,ल ,व,श ,ष ,स ,ह।
व्यंजन के दो भेद होते है –
(1) स्पर्श व्यंजन
- क वर्ग = क् ख् ग् घ् ङ्
- च वर्ग = च् छ् ज् झ् ञ्
- ट वर्ग = ट् ठ् ड् ढ् ण्
- त वर्ग = त् थ् द् ध् न्
- प वर्ग = प् फ् ब् भ् म्
(2) अंतस्थ व्यंजन
- वर्गेतर व्यंजन – य ,र ल,व,श,ष,स,ह।
- संयुक्त व्यंजन – क्ष,त्र,ज्ञ। इनको वर्ण व्यंजन ही कहते है किन्तु दो अक्षरो के मेल से बनने के कारण ही इन्हे संयुक्त व्यंजन कहा जाता है। उदा- क् + ष् = क्ष ,त् + र= त्र, ज् + ञ् = ज्ञ।
- क् + ष = क्ष
- त् + र = त्र
- ज् + ञ = ज्ञ
- श् + र = श्र
मुझे उम्मीद है कि आपको वर्ण की परिभाषा तथा वर्ण विचार किसे कहते है एवं इनके कितने भेद होते हैं पर लिखा हुआ यह लेख समझ में आया होगा। जिससे आप अपने हिंदी व्याकरण के ज्ञान को थोड़ा और बढ़ा पायेंगे तथा आपको हिंदी व्याकरण से जुड़े प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नों को हल करने में आसानी होगी ।