संज्ञा के विकारक तत्व – लिंग वचन और कारक क्या है ?

संज्ञा के विकारक तत्व
संज्ञा के विकारक तत्व

संज्ञा के विकारक तत्व – लिंग वचन और कारक क्या है ?

नमस्कार दोस्तों स्वागत है मेरे इस ब्लॉग पर हमारा जो लेख रहेगा वह  संज्ञा के विकारक तत्व के बारे में होगा। हम इस लेख में  संज्ञा के विकार तत्व कौन – कौन से होते है और उनके भी प्रकारो के बारे में जानेगे।
संज्ञा में  जिन कारणों से परिवर्तन आते है वह लिंग ,वचन,और कारक होते है
जैसे
  1. लिंग – लड़का , लड़की।
  2. वचन  – लड़का , लड़के , लड़की ,लड़किया।
  3. कारक – लड़के ने , लड़के को , लड़को ने , लड़को को आदि  शब्द बनते है।

लिंग किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं

संज्ञा के विकारक तत्व  लिंग – स्त्री शब्दों से स्त्री या पुरुष जाती का बौद्ध हो वे लिंग कहलाते है। लिंग संस्कृत भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ – चिन्ह या निशान होता है यह चिन्ह या निशान किसी संज्ञा ( noun ) का ही होता है। सभी संज्ञा  किसी न किसी लिंग ( gender ) की ही होती है। शब्दों के जिस रूप से यह पता चले की वह पुरुष जाति का है या स्री जाति का है तो उसे लिंग कहाँ जाता है।
उदाहरण
  • राजा दरबार में बैठा है.( पुरुष वर्ग )
  • रानी बगीजे में फल तोड़ रही है. ( स्री वर्ग )

 हिन्दी में  दो लिंग होते है 

  1. पुल्लिंग
  2. स्त्रीलिंग
पुल्लिंग  –  पुरुष तत्व का बोध कराने वाले शब्द को पुल्लिंग कहते है।
  • नर
  • बालक
  • शेर
  • फल
  • भवन
  • मनुष्य
  • बन्दर आदि।

स्त्रीलिंग – स्त्री  तत्व  का बोध कराने वाले शब्द स्त्रीलिंग कहलाते है। 

  • लड़की
  • शेरनी
  • गाय
  • हथिनी
  • चाबी
  • मधुमखी
  • हिरन
  • मोरनी  आदि ।

नोट– लिंग की पहचान वाक्य का प्रयोग करनें से की जा जाती है

  • जैसे – कमरा बहुत बड़ा है । ( पुल्लिंग )
  • कक्षा बहुत छोटी है। ( स्त्रीलिंग )
 उभयलिंग शब्द – कुछ एसे भी शब्द होते है जिनका प्रयोग दोनो लिंगो में होता है ।
  • प्रधानमंत्री (स्त्री या पुरुष हो सकते है )
  • राष्ट्रपति
  • राज्यपाल
  • राजदूत,
  • मैनेजर
  • इंजीनियर आदि।

पुल्लिंग शब्द की पहचान

  1. रत्नो के नाम – नीलम ,हीरा,मोती,मूँगा,पन्ना।
  2. व्यवसायसूचक शब्द  –  व्यापारी ,क्रेता ,विक्रेता,सुनार, आदी।
  3. समुदायवाचक शब्द – समाज , परिवार ,कुल,संघ,मंडल,दल, आदी।
  4. दिनो के नाम – सोमवार ,मंगलवार,बुधवार, आदी।
  5. महिनो के नाम – आषाढ, श्रावण, भाद्रपद ,कार्तिक,मार्गशीष,आदी।
  6. अनाजो के नाम – चावल ,मूँग, आदी शब्द पुलिन्ग है , लेकिन  अरहर ,ज्वार, स्त्रीलिंग है ।
  7. धातुओ के नाम – सोना , ताँबा,लोहा, पीतल,पुल्लिंग है ,लेकिन चाँदी स्त्रीलिंग है।
  8. वर्णमाला के अक्षर – स्वरो में  अ,आ, उ,ऊ,ओ,औ,सभी पुल्लिंग है।
  9. समुद्रों के नाम – प्रशांत महासागर ,हिंद महासागर ,अरब सागर ,लाल सागर, भूमध्य सागर ,अंध महासागर आदि।
  10.  पर्वतों के नाम – कैलाश पर्वत ,विंध्याचल पर्वत ,अरावली ,सतपुड़ा ,हिमालय आदी।
  11.  विशिष्ट स्थान –  वाचनालय, विद्यालय ,पुस्तकालय ,न्यायालय ,चिकित्सालय आदी।
  12. द्रव्य पदार्थ – पानी ,डीजल, पेट्रोल, तेल आदी।
  13. शरीर के अंग – सिर ,पैर, हाथ ,कान ,मुंह ,मस्तिष्क, गला आदी। (आँख, नाक आदी अपवाद है)
  14. वृक्षों के नाम – आम ,शीशम ,नीम ,जामुन, पीपल आदी।
  15. गृहो के नाम – शनि ,चंद्र ,गुरु ,बृहस्पति ,रवि ।

प्राणी जगत में – खरगोश ,तोता ,कौवा, उल्लू ,खटमल, मेंढक ,पशु, पक्षी आदी ।

जिन शब्दो में पन ,अक,त्व ,आव,आर,एरा,वाला आदि प्रत्यय शब्दांश जुड़े  होते हैं वे पुल्लिंग होते हैं ,
जैसे – लड़कपन ,धावक, पुरुषत्व, चढ़ाव ,बुढ़ापा , सवेरा ,दूधवाला आदि।

स्त्रीलिंग शब्द की पहचान

  1. भाषाओ के नाम – हिंदी ,संस्कृत, मराठी ,बांग्ला, तमिल ,अंग्रेजी ,अरबी, जर्मन, मलयालम , गुजराती ।
  2. लिपियों के नाम – देवनागरी, गुरुमुखी, रोमन।
  3. तिथियों के नाम – प्रथमा ,द्वितीय ,तृतीया,चतुर्थी ,एकादशी,  आदि।
  4. नदियो के नाम –  कृष्णा, सरस्वती ,ब्रह्मपुत्र ,कावेरी ,यमुना, सतलज ,गंगा आदी ।
  5. प्राणियों में – मैना ,मछली , छिपकली, गिलहरी, कोयल इत्यादि इन शब्दों के साथ नर जोड़ने से पुलिंग शब्द बन जाते हैं।
  6. हथियारों में – बंदूक ,तलवार ,गधा ,कृपाण ,तोप, गोली आदी।
  7. वर्णमाला के अक्षर – इ ,ई ,ॠ।
  8.  शरीर के अंग – आंख, नाक,छाती,जीभ,पसली ,एडी आदी ।

नोट – जिन शब्दों में ई, नी, आनी,आई, इया ,इमा, त, ता, आस,री,आवट ,आहट, जुड़े होते  है उनको स्त्रीलिंग शब्द कह सकते है ।

वचन किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं

संज्ञा के विकारक तत्व वचन – जिन शब्दों से एक या अनेक का बौद्ध हो वे वचन कहलाते है अर्थात शब्द के  जिस रूप से उसके एक अथवा अनेक होने का बोध हो , उसे वचन कहते है।

उदाहरण

  • घोड़ा- घोड़े
  • बेटा- बेटे
  • सडक – सड़के
  • बच्चा – बच्चे
  • कुर्सी – कुर्सियां आदी ।

 वचन दो प्रकार होते है

1.एक वचन
2.बहुवचन

1) एक वचन –  एक संख्या का बोध कराने वाले शब्द को एकवचन कहते है ।
  • स्त्री
  • गाय
  • पुस्तक
  • चुहा
  • लता
  • पैसा
  • बिल्ली आदी ।
2) बहुवचन – एक से अधिक संख्या का बोध कराने वाले शब्द को बहुवचन कहते है। 
  • स्त्रिया
  • गाये
  • चूहे
  • लताए
  • बेटे
  • बिल्लिया
  • घड़ियाँ आदी। 

वचन की पहचान

हिन्दी भाषा में वचन पहचानने के कुछ नियम होते  है  , जिनके आधार पर आसानी से एकवचन और बहुवचन की पहचान की जा सकती है । जैसे –
  1. कमल खिल रहा है ( एकवचन )
  2. कमल खिल रहे है  (बहुवचन )
  3. यह कपड़ा सुन्दर है (एक्वचन )
  4. ये कपड़े सुन्दर है (बहुवचन)
  5. लड़की गा रही है ( एकवचन)
  6. लड़किया गा रही है ( बहुवचन )
  7. पुजारी पूजा कर रहा है (एकवचन)
  8. पुजारी पुजा कर रहे है (बहुवचन )

कारक किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं

संज्ञा के विकारक तत्व कारक -किसी वाक्य में  प्रयोग संज्ञा अथवा सर्वनाम पदों का उस वाक्य की क्रिया के साथ जो संबंध होता है, उसे कारक कहते  हैं। कारक  के कारण भी संज्ञा में परिवर्तन आता है। कारक का शाब्दिक अर्थ होता है – क्रिया को करने वाला या क्रिया को करने मे सहायक। कारक विभिन्न  संज्ञाओं एवं सर्वनामो को क्रिया के साथ जोड़ते है।
उदहारण
  1.  माताजी ने खाना खाया ।
  2. बच्चे पेन से लिख रहे है ।
  3. लड़का आम खाता है।

 कारक की परिभाषा- संज्ञा या सर्वनाम की क्रिया के साथ भूमिका निश्चित करने वाले कारक कहलाते हैं

 कारक के प्रकार

1.कर्ता कारक  (nominative case ) 
2.कर्म कारक (objective or accusative case)
3.करण कारक  ( instrumental case )
4.संप्रदान कारक (dative case)
5.अपादान कारक( ablative case)
6.संबन्ध कारक( possessive or genitive case)
7.अधिकरण कारक (locative case )
8.संबोधन कारक (vocative case ) 
हिन्दी में आठ प्रकार के कारक होते है ।  इन कारकों के चिन्ह साथ में लगते हैं या अति निकट लगते हैं ।चिन्हों को विभक्ति या  परसर्ग कहा जाता है। कुछ स्थानों पर विभक्ति चिह्न नहीं भी लगते  है ,लेकिन विभक्ति चिन्ह नहीं लगने को शून्य विभक्ति कहते है ।
 कारक के आठ भेद होते है –
1. कर्ता कारक  (nominative case )  
 कर्ता का मतलब  – ‘करने वाला ‘ होता है।   क्रिया करने वाले को कर्ता कहते है और बिना कर्ता की क्रिया संभव नहीं होती है कर्ता के परसर्ग का चिन्ह – ने , शुन्य ।
उदहारण
  •  गणेश जी पुराण लिख रहे है। (शुन्य)
  •  रमेश  ने किताब लिखी। ( ने )
पहचान के लिये प्रशन – कौन ? किसने ? प्रशन का जो उत्त्तर मिलेगा वह कर्ता होगा ।
2. कर्म कारक (objective or accusative case)  
क्रिया का  प्रभाव  जिस पर पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं ।इसमे  विभक्ति चिन्ह ‘को’ है । कर्म कारक विभक्ति चिन्ह का प्रयोग सजीव पदार्थों के साथ है ।निर्जीव  पदार्थों  के साथ नहीं हैं।
उदाहरण
  • अध्यापक ने बच्चों  को समझाया।
  • सीता पत्र लिखती हैं।
पहचान के लिये प्रशन – किसे ?किसको? का जो उत्तर मिलेगा वह कर्म होगा । 
3. करण कारक  ( instrumental case )- 
करण का अर्थ साधन है । सन्ज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप की सहायता  से  क्रिया संपन्न होती है उसे करण कारक कहते हैं इसके परसर्ग चिन्ह ‘से’ है ।
  •  सलमा  ने कैंची से कपड़ा काटा।
  • हम गाडी  से आय।
पहचान के लिये प्रश्न – किसेसे ? किसके द्वारा ? प्रशन का जो उत्तर मिलेगा वह करण  होगा ।
4. संप्रदान कारक (dative case) – 
 संप्रदान का अर्थ है’ देना’ । जिसके लिये क्रिया की जाती है उसे संप्रदान कारक कहते है ।
संप्रदान के परसर्ग के चिन्ह है – को , के लिये ।
  • भूखे को भोजन देना ।
  • बेटी के लिये उपहार दिया गया ।
 पहचान के लिये प्रश्न – किसे ? किसके लिये ? प्रशन का जो उत्तर मिलेगा वह संप्रदान होगा ।

5. अपादान कारक( ablative case )

 संज्ञा या सर्वनाम के  जिस रूप से अलग होने ,निकलने ,डरने ,सीखने ,लजाने या  तुलना करने का भाव  प्रकट हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसका विभक्ति चिन्ह ‘से’ है।
  •  नितिन शेर से डर  गया ।
  • हम कानपुर से आय है ।
पहचान के लिये प्रशन – किससे ? प्रशन  का जो उत्तर  मिलेगा वह अपादान होगा ।

6.संबन्ध कारक( possessive or genitive case )

जिस रूप से किसी वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो वह संबंध कारक कहलाता है।
 इसकी परसर्ग चिन्ह का, के, की ,रा, रे, री  है।
  • रेखा के दो लडके है ।
  • महादेवी  जी की गाय का नाम गौरा था ।
पहचान के लिये प्रशन – किसका ?  किसके ? किसकी ? प्रशन का जो उत्तर मिलेगा वह संबन्ध कारक होगा ।

7.अधिकरण कारक (locative case )

संज्ञा के जिस रुप से क्रिया के आधार का बोध होता है, वह अधिकरण कारक कहलाता है ।इसके विभक्ति चिन्ह ‘में’, ‘पर’ है।
  •  अलमारी में कपड़े रखे है ।
  • छत पर मत जाओ ।
पहचान के लिये -किसमें? किस पर ? प्रशन का जो उत्तर मिलेगा ।

8. संबोधन कारक (vocative case ) 

शब्द के जिस रूप से किसी को पुकारा जाय ,उसको संबोधन कारक कह्ते है । इसके  विभक्ती चिन्ह  हे,अरे,ओ, आदी है जैसे –
  • हे भगवान !इस  दुनिया से उठा ले ।
  • अरे !  कहाँ जा रहे हो?
 पहचान के लिये प्रशन – हे , हो , अरे का संबध जानिए । प्रशन का जो उत्तर मिलेगा वह संबोधन कारक हो।
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