सन्धि का अर्थ होता है मेल या जोडना मतलब की जब दो दुश्मन पडोसियो में आपस में मेल हो जाता है या दोनो देशो में मेल होने लगता है तब कह कहसकते है की दोनो ने सन्धि करली ।सन्धि करते समय दोनो देश कुछ नियम बनाते है और कुछ बदलाव भी करते है।उसी प्रकार जब दो शब्दो के पास- पास के वर्णो में मेल होता है,तब वह सन्धि कहलाती है।
- भानू +उदय= भानूदय
- नर+ईश=नरेश
- विद्या +अर्थी =विद्यार्थी
- मह+ ऋषि=
संधि किसे कहते हैं | sandhi kise kahate hain

संधि की परिभाषा
जब किसी एक पद में दो या दो से अधिक वर्ण एक दूसरे के समीप( सामने) आते है तो उनमें कुछ परिवर्तन हो जाता है।उसी परिवर्तन अथवा रूपानतरण को सन्धि कह्ते है या दो वर्णो के मेल से उनके मूल रूप में जो परिवर्तन या विकार आ जाता है ,वह सन्धि कहलाता है
उदाहरण –
- भानू +उदय= भानूदय
- नर+ईश=नरेश
- विद्या +अर्थी =विद्यार्थी
- मह+ ऋषि= महर्षि
संधि कितने प्रकार की होती है?
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
1. स्वर संधि (swar sandhi )
जब एक स्वर दूसरे के साथ मिलकर रूपांतरित या बदलाव होता है तो उसे स्वर संधि कहते हैं जैसे रामावतार ।राम +अवतार में (म) +(अ) दोनो स्वर है ,इसलिये यह स्वर संधि है।
संधि किसे कहते हैं
स्वर सन्धि के 5 भेद होते है ।
(1). दीर्घ स्वर सन्धि – दीर्घ संधि के अन्तर्गत दो समान स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते है जब हृस्व या दीर्घ स्वर( अ,इ,ऊ,ऋ,) के बाद हृस्व या दीर्घ स्वर अ,इ ,उ,ऋ आता है तो उन दोनो के स्थान पर दीर्घ वर्ण मतलब आ,ई,ऊ,ऋ हो जाते है,इसको हम उदाहरण से समझने की कोशिश करते है।
- अ + अ = आ – समय+अभाव = समयाभाव
- अ + आ = आ – गोल +आकार = गोलाकार
- आ + अ = आ – शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
- आ + आ = आ – वार्ता + आलाप = वार्तालाप
- इ + इ = ई – रवि + इन्द्र = रवींद्र
- इ + ई = ई – कवि + ईश्वर = कवीश्वर
- ई + इ = ई – रजनी + इन्दु = रजनींदु
- ई + ई = ई – नदी + ईश = नदीश
- उ + उ = ऊ – भानु + उदय = भानूदय
- उ + ऊ = ऊ – सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
- ऊ + उ = ऊ – वधू + उत्सव = वधूत्सव
- ऊ + ऊ = ऊ – भू + ऊर्जा = भूर्जा
- ऋ + ऋ = ऋ – हेतृ + त्रृकार = होतृकार
(2) गुण संधि – जब अ अथवा आ के बाद हृस्व या दीर्घ इ,ई ,उ,ऊ,ऋ आय तो ए,ओ और अर हो जाता है।
- अ+इ=ए – देव +इन्द्र = देवेन्द्र
- अ +ई =ए – परम + ईश्वर = परमेश्वर
- आ+ इ =ए – महा+इन्द्र = महेंद्र
- आ+ई =ए – रमा+ईश = रमेश
- अ +उ =ओ – पर+ उपकार = परोपकार
- अ +ऊ=ओ – समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
- आ +उ = ओ – महा + उत्सव = महोत्सव
- आ+ ऊ = ओ – गंगा + उर्मि = गंगोर्मि
- अ + ऋ = अर् – देव + ऋषि = देवर्षि
- आ + ऋ = अर् – महा + ऋषि = महार्षि
संधि किसे कहते हैं
(3) वृद्धिसन्धि –यदि अ अथवा आ के आगे ए ,ऐ,ओ,औ आए तो ऐ (ए,ऐ के साथ) ओ ,औ ( ओ,औके साथ ) हो जाता है।
- अ + ए = ऐ – अध + एव = अधैव
- अ + ऐ = ऐ – मत + ऐक्य = मतैक्य
- आ + ए = ऐ – तथा + एव = तथैव
- आ +ऐ = ऐ – महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
- अ + ओ = औ – उष्ण + ओदन = उष्णौदन
- अ + औ = औ – वन + औषधि = वनौषधि
- आ + ओ= औ – महा + ओज = महौज
- आ + औ = औ – महा + औषधि = महौषधि
(4) यण संधि –जब हृस्व या दीर्घ इ,उ,ऋ के बाद कोई असमान पद आय तो इ,ई का य,उ,ऊ का व् और ऋ का र् हो जाता है ।उदाहरण –
- इ + अ = य् – यदि + अपि = यधपि
- इ + आ = आ= या – एति +आदि = इत्यादि
- उ + आ = व् + आ =वा – सु + आगत = स्वागत
- ऋ + आ = र् + आ =रा – पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
(5) अयादि स्वर संधि –यदि ए ,ऐ ओ,औ,के बाद को स्वर आए तो उसके स्थान पर अय,आय,अब,आव् हो जाते है ।सन्धि का अर्थ होता है मेल या जोडना मतलब की जब दो दुश्मन पडोसियो में आपस में मेल हो जाता है या दोनो देशो में मेल. उदाहरण –
- ए+अ=अए+अ=अय – चे + अयन = चयन
- ऐ+अ=आय्+अ=आय् – नै + अक = नायक
- ओ+इ=अव+इ=अवि – पो + इत्र = पवित्र
2.व्यंजन सन्धि -(vyanjan sandhi )
- सम् + कल्प = संकल्प
- उत् + नति = उन्नति
- जगत+ईश = जगदीश
- वि + छेद = विच्छेद
3. विसर्ग संधि ( visarg sandhi )
- यशः + गान = यशोगान
- मन: + हर = मनोहर
- मन: + रथ = मनोरथ
विसर्ग का ‘र’ हो जाना
- नि: + भय = निर्भय
- दु: + गुण = दुर्गुण
- पुन: + जन्म = पुनर्जन्म
- आशी: + वाद = आशीर्वाद
- नि: + चल = निश्चल
- दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
- नि: + चय = निश्चय
- दु: + शासन = दुश्शासन
विसर्ग का ‘ ष ‘ हो जाना
- दु: + कर = दुष्कर
- नि: + काम = निष्काम
- नि: + पाप = निष्पाप
- दु: + कर्म = दुष्कर्म
विसर्ग का लोप होना
- विसर्ग का ‘ र ‘ से मेल होने पर विसर्ग का लोप हो जाता है और विसर्ग के पहले का स्वर दीर्घ हो जाता है ।
- नि: + रोग = नीरोग
- नि: + रस = नीरस
विसर्ग मेें परिवर्तन होना
- यदि विसर्ग से पहले ‘ अ ‘ हो और विसर्ग का मेल ‘क’ तथा ‘ प’ से हो , तो विसर्ग में कोई परिवर्तन नही होता है ।
- अं : करण = अंत: करण
- प्रात: काल = प्रात : काल
क्या आप जानते है –